श्री हनुमान बाहुक हिंदी में
भारतीय संत परंपरा में गोस्वामी तुलसीदास जी का स्थान अत्यंत उच्च है। उन्होंने रामचरितमानस, हनुमान चालीसा जैसी महान रचनाएँ दी हैं। उन्हीं की एक कम प्रसिद्ध लेकिन अत्यंत प्रभावशाली रचना है — “श्री हनुमान बाहुक” (Hanuman Bahuk)। यह स्तोत्र शरीर की पीड़ा, विशेषकर हाथ या बाहु की पीड़ा को दूर करने के लिए लिखा गया था, और आज भी इसे चमत्कारी माना जाता है।
‘बाहुक’ शब्द का अर्थ होता है ‘बाहु’ यानी ‘भुजा’ से संबंधित। इसलिए यह स्तोत्र विशेष रूप से शरीर की व्याधियों, हाथ-पाँव की पीड़ा, और शारीरिक कष्टों में अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। यह सिर्फ एक धार्मिक पाठ नहीं, बल्कि विश्वास, समर्पण और चमत्कार का अद्भुत उदाहरण है — जो आज भी असंख्य भक्तों के जीवन में आशा की किरण बनकर प्रकाश फैला रहा है।
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एक बार गोस्वामी तुलसीदास जी को भुजा (बांह) में अत्यंत पीड़ा होने लगी। उन्होंने वैद्य उपचार करवाया, लेकिन लाभ नहीं हुआ। तब वे अपने आराध्य श्री हनुमान जी की उपासना में लीन हो गए और इसी पीड़ा को हृदय में रखते हुए उन्होंने यह स्तोत्र रचा — जिसे उन्होंने नाम दिया “हनुमान बाहुक” (Hanuman Bahuk)। कहते हैं कि जैसे ही उन्होंने इसका पाठ पूर्ण किया, उनकी पीड़ा पूरी तरह समाप्त हो गई।
आज भी यह स्तोत्र उन श्रद्धालुओं के लिए वरदान सिद्ध होता है जो किसी भी प्रकार की शारीरिक व्याधि, विशेषकर हड्डियों, स्नायु और बाहु रोगों, से ग्रस्त हों। यह न केवल शरीर के लिए औषधि है, बल्कि मन के लिए भी संजीवनी है। “श्री हनुमान बाहुक” एक ऐसा दिव्य पाठ है जो हनुमान जी की कृपा को आकृष्ट करता है और हमें रोग, भय, चिंता और दुर्बलता से उबारता है।
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Toggleश्री हनुमान बाहुक (Hanuman Bahuk) पाठ विधि:
श्री हनुमान बाहुक (Hanuman Bahuk) पाठ के लिए सबसे उत्तम समय है प्रातःकाल (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) या संध्याकाल। विशेष रोग या कष्ट हो तो नित्य दोनों समय पाठ करें। पाठ करने के लिए स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। शांत, पवित्र और स्वच्छ स्थान चुनें। मन को भी शांत और एकाग्र करें। हो सके तो श्री हनुमान जी का चित्र या मूर्ति सामने रखें, और घी या तिल के तेल का दीपक जलाएँ, और कुछ पुष्प अर्पित करें। मोबाइल या अन्य विघ्नकारक वस्तुओं से दूरी रखें।
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हनुमान बाहुक पाठ करने के लिए आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें। संकल्प लें की मैं अमुक रोग या कष्ट से मुक्ति हेतु श्री हनुमान बाहुक का श्रद्धापूर्वक पाठ करता/करती हूँ। अब श्री हनुमान बाहुक का पूरा पाठ आरंभ करें।
एक-एक छंद को श्रद्धा और स्पष्ट उच्चारण के साथ पढ़ें। बीच में पाठ न रोकें। यदि संभव हो तो एक ही बैठक में पूरा करें। पाठ के अंत में हाथ जोड़कर श्री हनुमान जी को धन्यवाद दें और अपनी कामना दोहराएँ।
श्री हनुमान बाहुक का पाठ केवल भक्ति नहीं, बल्कि आध्यात्मिक चिकित्सा भी है। यह हनुमान जी से जुड़ने का एक अत्यंत प्रभावशाली माध्यम है। यदि श्रद्धा, नियम और निष्ठा के साथ इसका पाठ किया जाए, तो रोग, भय और दुख दूर होना निश्चित है।
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