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काक चेष्टा, बको ध्यानं, स्वान निद्रा तथैव च।
अल्पहारी, गृहत्यागी, विद्यार्थी पंच लक्षणं।।
Yamunashtak
यमुनाष्टक (Yamunashtak): माँ यमुनाजी की स्तुति और आशीर्वाद प्राप्ति का साधन यमुनाष्टक (Yamunashtak) भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय यमुना नदी की स्तुति में रचित एक प्रसिद्ध स्तोत्र है। यह भक्तों के बीच अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ गाया जाता है। इसकी रचना श्री वल्लभाचार्य जी ने की थी, जो भक्ति मार्ग के महान आचार्य माने जाते हैं। यमुनाष्टक में श्री
Chanakya Niti chapter 7 In Hindi
चाणक्य नीति : अध्याय सातवां | Chanakya Niti Chapter 7 In Hindi ॥ अथ सप्तमोऽध्यायः ॥ चाणक्य नीति के सातवें अध्याय (Chanakya Niti chapter 7) में चाणक्य यह महत्वपूर्ण बात कहते हैं कि जिस मनुष्य ने विद्या को ग्रहण नहीं किया, उसका जीवन कुत्ते की उस पूंछ के समान है, जिससे न तो वह अपने गुप्त भागों को ढंक सकता है,
Mahabharata Adi Parva Chapter 32 to 36
॥ श्रीहरिः ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ श्रीवेदव्यासाय नमः ॥ श्रीमहाभारत आदिपर्वके अन्तर्गत आस्तीकपर्व में (Adi Parva Chapter 32 to 36) इस पोस्ट में श्रीमहाभारत आदिपर्वके अन्तर्गत आस्तीकपर्व अध्याय 32 से अध्याय 36 (Adi Parva Chapter 32 to 36) दिया गया है। इसमें गरुड का देवताओं के साथ युद्ध और देवताओं की पराजय का वर्णन, गरुड का अमृत लेकर लौटना, मार्ग
Uchit Samay Par Sahi Paath Kare
उचित समय पर सही पाठ करें: (Uchit Samay Par Sahi Paath Kare) विधि, तैयारी और लाभ शास्त्रों में कहा गया है कि किसी भी मंत्र, स्तोत्र या पाठ का प्रभाव तब अधिक होता है जब उसे सही समय पर और विधिपूर्वक किया जाए। उचित समय पर सही पाठ करने (Uchit Samay Par Sahi Paath Kare) से मानसिक, आध्यात्मिक और भौतिक
Durga Chalisa in Hindi
श्री दुर्गा चालीसा: (Durga Chalisa) माँ दुर्गा की कृपा और शक्ति की स्तुति दुर्गा चालीसा (Durga Chalisa) माँ दुर्गा की स्तुति में रचित 40 छंदों का एक प्रसिद्ध भक्तिमय रचना है, जिसमें उनकी महिमा, शक्ति, और कृपा का गुणगान किया गया है। इसके नियमित पाठ से भक्तों को साहस, शक्ति, और समृद्धि की प्राप्ति होती है। माँ दुर्गा को शक्ति
Rin Mochan Mangal Stotra
श्री ऋणमोचक मंगल स्तोत्र एवं अर्थ | Rin Mochan Mangal Stotra ऋणमोचक मंगल स्तोत्र (Rin Mochan Mangal Stotra) एक प्रभावशाली स्तोत्र है, जो विशेष रूप से ऋण (कर्ज़) से मुक्ति और आर्थिक समृद्धि के लिए पाठ किया जाता है। यह स्तोत्र भगवान मंगल (मंगल ग्रह) की स्तुति करता है, जिन्हें ज्योतिष में साहस, पराक्रम, भूमि, ऋण और रक्त संबंधी मामलों
Kanakdhara Stotra
कनकधारा स्तोत्र (Kanakdhara Stotra): धन, समृद्धि और सौभाग्य प्रदान करने वाला दिव्य स्तोत्र कनकधारा स्तोत्र (Kanakdhara Stotra) आदि शंकराचार्य जी द्वारा रचित एक अत्यंत प्रसिद्ध स्तोत्र है, यह स्तोत्र माँ लक्ष्मी की स्तुति है, जिसमें उनका आह्वान किया जाता है कि वे अपने भक्तों पर कृपा बरसाएँ। इसका उद्देश्य माँ लक्ष्मी का आह्वान कर उनकी कृपा प्राप्त करना है, जिससे
Radha Rani ke 28 Naam
श्री राधा रानी के इन 28 नामों (Radha Rani ke 28 Naam) के जाप से पूरी हो जाएगी, हर मनोकामना। श्री राधा रानी, जिन्हें प्रेम और भक्ति की देवी माना जाता है, हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखती हैं। श्रीकृष्ण की अनन्य प्रेमिका और आध्यात्मिक साथी के रूप में पूजनीय राधा रानी, भक्तों को अनंत शांति और सुख प्रदान करती
Raghuvansh 9 Sarg
रघुवंश नवमः सर्ग | Raghuvansh 9 Sarg ॥ कालिदासकृत रघुवंशम् महाकाव्य नवमः सर्गः ॥ संस्कृत कवि कालिदास द्वारा रचित “रघुवंश महाकाव्य” का नवम (Raghuvansh 9 Sarg) को मृगयावर्णन कहा गया है। इस सर्ग में राजा दशरथ के शासन, उनके विवाह, यज्ञ, वसंतोत्सव, और श्रवणकुमार की करुण कथा का हृदयस्पर्शी विवरण दिया गया है। राजा दशरथ ने अपने पिता के पश्चात
Navgrah Stotra
नवग्रह स्तोत्र (Navgrah Stotra): ग्रहों की कृपा प्राप्ति के लिए शक्तिशाली स्तुति नवग्रह स्तोत्र (Navgrah Stotra) एक प्राचीन वैदिक स्तोत्र है, जो नवग्रहों (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु) की स्तुति और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए रचा गया है। नवग्रह, वैदिक ज्योतिष में, जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रभाव डालने वाले मुख्य ग्रह माने
Pushpanjali Mantra
संपूर्ण पुष्पांजलि मंत्र – Sampurna Pushpanjali Mantra पुष्पांजलि मंत्र (Pushpanjali Mantra) संस्कृत में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र स्तोत्र है जो प्रायः हिंदू धार्मिक समारोहों के अंत में पुष्पांजलि अर्पित करते समय गाया जाता है। यह स्तोत्र ऋग्वेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद से लिए गए मंत्रों का एक संग्रह है, और इसका उद्देश्य ईश्वर को कृतज्ञता प्रकट करना, उनकी स्तुति करना
Rudra Samhita Khand-2 Chapter 21 to 30
श्रीरुद्र संहिता द्वितीय खण्ड अध्याय 21 से 30 | Rudra Samhita Khand-2 Chapter 21 to 30 श्रीरुद्र संहिता द्वितीय खण्ड अध्याय 21 से अध्याय 30 (Rudra Samhita Khand-2 Chapter 21 to 30) में शिव-सती विहार, शिव-सती का हिमालय गमन, शिव द्वारा ज्ञान और मोक्ष का वर्णन, शिव की आज्ञा से सती द्वारा श्रीराम की परीक्षा, श्रीराम का सती के संदेह