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काक चेष्टा, बको ध्यानं, स्वान निद्रा तथैव च।
अल्पहारी, गृहत्यागी, विद्यार्थी पंच लक्षणं।।
![Krishna Janmashtami](https://www.mahakavya.com/wp-content/uploads/2024/07/krishna-janmashtami-300x300.webp)
Krishna Janmashtami Festival
श्री कृष्ण जन्माष्टमी क्यों और कैसे मनाते हैं , जानें श्री कृष्ण जन्म कथा, और अनुष्ठान मानव जीवन सबसे सुंदर और सर्वोत्तम होता है। मानव जीवन की खुशियों का प्रभाव वास्तव में अद्वितीय है, और इस संदर्भ में, ऐसा कहा जाता है कि भगवान भी इस खुशी को अनुभव करने के लिए समय-समय पर धरती पर अवतरित होते रहे हैं।
![Hanuman Ashtak](https://www.mahakavya.com/wp-content/uploads/2024/07/Sankatmochan-Hanuman-Ashtak-300x300.webp)
Hanuman Ashtak
संकटमोचन हनुमान अष्टक – Sankatmochan Hanuman Ashtak “संकटमोचन हनुमान अष्टक” (Hanuman Ashtak) भगवान हनुमान को समर्पित एक पूजनीय भजन है, जो हिंदू धर्म में सबसे प्रसिद्ध देवताओं में से एक हैं। महान कवि तुलसीदास द्वारा रचित, जो अपने महाकाव्य “रामचरितमानस” के लिए भी प्रसिद्ध हैं, यह भजन एक शक्तिशाली भक्ति मंत्र है जिसका उद्देश्य संकट को कम करने और बाधाओं
![Narmada Parikrama](https://www.mahakavya.com/wp-content/uploads/2024/06/narmda-parikrama-300x300.webp)
Narmada Parikrama
नर्मदे हर…नर्मदे हर…नर्मदे हर… नर्मदा परिक्रमा (Narmada Parikrama) मार्ग, धर्मशाला-सदाव्रत और परिक्रमा के नियम की जानकारी नर्मदा की परिक्रमा (Narmada Parikrama) विश्व के सर्वोत्तम धार्मिक यात्राओं में से एक है। यह यात्रा नर्मदा नदी के पवित्र जल के चारों ओर की जाती है और नर्मदा नदी के महत्व को प्रस्तुत करती है। इस यात्रा के दौरान प्रत्येक यात्री नर्मदा के
![Raghuvansh Mahakavya 7 Sarg](https://www.mahakavya.com/wp-content/uploads/2024/06/Raghuvansh-Mahakavya-7-Sarg-300x300.webp)
Raghuvansh Mahakavya 7 Sarg
रघुवंश महाकाव्य सप्तम सर्ग | Raghuvansh Mahakavya 7 Sarg संस्कृत कवि कालिदास द्वारा रचित “रघुवंश महाकाव्य” का सातवाँ सर्ग (Raghuvansh Mahakavya 7 Sarg) मुख्य रूप से राजा रघु के पुत्र अज के विवाह और उसके बाद के पराक्रमों पर विस्तृत वर्णन कहा गया है। इस खंड में अज और इंदुमती के विवाह और उसके बाद की घटनाओं का विवरण है।
![Chanakya Niti chapter 5](https://www.mahakavya.com/wp-content/uploads/2024/05/Chanakya-Niti-Chapter-5-300x300.webp)
Chanakya Niti chapter 5 in Hindi
चाणक्य नीति : पांचवा अध्याय | Chanakya Niti : Chapter 5 In Hindi ॥ अथ पंचमोऽध्यायः ॥ चाणक्य नीति का पांचवें अध्याय (Chanakya Niti chapter 5) में चाणक्य कहते हे की धन से धर्म की, योग से विद्या की, मधुरता से राजा की और अच्छी स्त्रियों से घर की रक्षा होती है। चाणक्य नीति के अध्याय 5 में जीवन के
![Shani Stotra](https://www.mahakavya.com/wp-content/uploads/2024/05/shri-shani-stotra-in-hindi-300x300.webp)
Shri Shani Stotra in Hindi
शनिवार को सुबह एवं शाम करें श्री शनि स्तोत्र (Shani Stotra) का पाठ प्रसन्न हो जाएंगे शनिदेव, शनि के कोप से अवश्य मिलेगी मुक्ति श्री शनि स्तोत्र (Shani Stotra) एक प्राचीन संस्कृत मंत्र है जो भगवान शनि की महिमा, गुणों और शक्तियों की प्रशंसा करता है। यह स्तोत्र शांति और शुभता के लिए शनि ग्रह के प्रभाव का आह्वान करता
![Rudra Samhita Khand-2 Chapter 1 to 10](https://www.mahakavya.com/wp-content/uploads/2024/04/Shri-Rudra-Samhita-Dwitiykhand-300x300.webp)
Rudra Samhita Dwitiya Khand Chapter 1 to 10
श्रीरुद्र संहिता द्वितीय खण्ड अध्याय 1 से 10 | Rudra Samhita Dwitiya Khand Chapter 1 to 10 श्रीरुद्र संहिता द्वितीय खण्ड (Rudra Samhita Khand-2 Chapter 1 to 10)अध्याय 1 से अध्याय 10 में माता सती का चरित्र वर्णन, भगवान शिव-पार्वती का चरित्र वर्णन, कामदेव को ब्रह्माजी द्वारा शाप देना, कामदेव और रति का विवाह वर्णन, संध्या का चरित्र, संध्या की
![Adi Parva Chapters 17 to 21](https://www.mahakavya.com/wp-content/uploads/2024/04/mahabharat-adipar-17-to-21-300x300.webp)
Mahabharata Adi Parva Chapters 17 to 21
॥ श्रीहरिः ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ श्रीवेदव्यासाय नमः ॥ श्रीमहाभारतम् आदिपर्व ~ (Mahabharata Adi Parva Chapters 17 to 21) महाभारत आदि पर्व (Adi Parva Chapters 17 to 21) के इस पोस्ट में अध्याय 17 से अध्याय 21 दिया गया है। इसमे मेरुपर्वतपर अमृतके लिये विचार करनेवाले देवताओंको भगवान् नारायणका समुद्रमन्थनके लिये आदेश, देवताओं और दैत्योंद्वारा अमृतके लिये समुद्रका मन्थन, अनेक रत्नोंके
![Gayatri Kavacham](https://www.mahakavya.com/wp-content/uploads/2024/04/Shri-Gayatri-Kavacham-in-Hindi-300x300.webp)
Shri Gayatri Kavacham in Hindi
श्री गायत्री कवचम् | Shri Gayatri Kavacham श्री गायत्री कवचम् (Gayatri Kavacham) एक दिव्य कवचम है जिसे स्वयं भगवान विष्णु ने देवर्षि नारद को कहा था और इस कवच की रचना महर्षि वेद व्यास ने की थी। श्री गायत्री कवचम् का उल्लेख श्रीमद् भागवतम पुराण के 12वें स्कंदम में किया गया है। भगवान श्रीमन नारायण देवर्षि नारद को श्री गायत्री
![Shri Ram Chalisa in Hindi](https://www.mahakavya.com/wp-content/uploads/2024/04/shri-ram-chalisa-in-hindi-300x300.webp)
Shri Ram Chalisa in Hindi
श्री राम चालीसा हिंदी में | Shri Ram Chalisa in Hindi श्री राम चालीसा (Shri Ram Chalisa in Hindi) भगवान श्री राम की महिमा और उनकी कृपा की महत्ता को व्यक्त करने वाली एक भक्तिपूर्ण चालीसा है। यह चालीसा भगवान राम की महिमा का गान करती है और उनकी प्राप्ति के लिए भक्तों को प्रेरित करती है। यह चालीसा उनकी
![Shri Radha Kripa Kataksh Stotram](https://www.mahakavya.com/wp-content/uploads/2024/03/Shri-Radha-Kripa-Kataksh-Stotram-300x300.webp)
Shri Radha Kripa Kataksh Stotram
Shri Radha Kripa Kataksh Stotram in hindi | श्री राधा कृपा कटाक्ष स्त्रोत्र हिंदी में राधा कृपा कटाक्ष स्तोत्र (Shri Radha Kripa Kataksh Stotram) में भगवान श्रीकृष्ण और उनकी परम प्रेमिका राधा के सम्बन्ध के विविध पहलुओं को समझाने वाला और आध्यात्मिक अर्थों में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इसके माध्यम से साधक राधा-कृष्ण के प्रेम और भक्ति के आध्यात्मिक सार को
![Raghuvansh Mahakavya 6 Sarg](https://www.mahakavya.com/wp-content/uploads/2024/03/Raghuvansh-Mahakavya-6-Sarg-300x300.webp)
Raghuvansh Mahakavya 6 Sarg
रघुवंशम् महाकाव्य षष्ठः सर्ग | Raghuvansh Mahakavya 6 Sarg रघुवंशम् महाकाव्य के षष्ठः सर्ग (Raghuvansh Mahakavya 6 Sarg) को इन्दुमतीस्वयंवर कहा जाता है। रघुवंश महाकाव्य छठे सर्ग में इन्दुमती स्वयंवर का मनोरम दृश्य। स्वयंवर में उपस्थित सभी राजाओं और राजकुमारों का वर्णन अतिरोचक तरीके से किया गया है। इन्दुमती की सखी सुनन्दा इन्दुमती को उपस्थित राजाओं का परिचय करवाती है।