ब्रह्म संहिता हिंदी में
ब्रह्म संहिता (Brahma Samhita in Hindi) वैदिक साहित्य का एक अद्भुत और दुर्लभ ग्रंथ है, जिसमें स्वयं ब्रह्माजी ने श्रीकृष्ण को सर्वोच्च परमेश्वर के रूप में स्वीकार किया है। यह संहिता भगवान श्रीकृष्ण की दिव्यता, लीला और उनके धाम का गूढ़ वर्णन करती है। इस ग्रंथ में “ईश्वरः परमः कृष्णः” जैसी श्लोकों के माध्यम से यह प्रतिपादित किया गया है कि श्रीकृष्ण ही आदिपुरुष हैं, और समस्त ब्रह्मांड उन्हीं से उत्पन्न, स्थित और लय को प्राप्त होता है।
ब्रह्म संहिता क्या है?
ब्रह्म संहिता मूलतः 100 अध्यायों की एक वैदिक स्तुति मानी जाती है, जिसे स्वयं ब्रह्मा जी ने श्रीकृष्ण के ध्यान में रचाया था। वर्तमान में इसका केवल पाँचवाँ अध्याय ही उपलब्ध है, और वही प्राचीन काल से प्रसिद्ध है। इसमें कुल 62 श्लोक हैं। यह ग्रंथ श्रीकृष्ण की गोलोक लीलाओं, चिंतन, धाम, गोपियों, श्रीराधा, और सृष्टि की उत्पत्ति का गहन विवरण देता है।
यह गौड़ीय वैष्णववाद के भीतर प्रतिष्ठित है , जिसके 16 वीं शताब्दी के संस्थापक, अध्याय पांच के 62 छंद, जो पहले कुछ शताब्दियों के लिए आदिकेशव पेरुमल मंदिर में खो गए थे। दक्षिण भारत में कन्याकुमारी । मित्सुनोरी मत्सुबारा, अपनी पंचरात्र संहिताओं और प्रारंभिक वैष्णव धर्मशास्त्र में पाठ की तारीख c. 1300 ई. पाठ में उनके निवास, गोलोक में कृष्ण का अत्यधिक गूढ़ वर्णन है।
यह भाग भगवान चैतन्य महाप्रभु द्वारा दक्षिण भारत यात्रा के समय प्राप्त हुआ था (केरल के आदिकेशव मंदिर में)। ब्रह्म संहिता (Brahma Samhita in Hindi) का प्रमुख श्लोक:
“ईश्वरः परमः कृष्णः सच्चिदानन्दविग्रहः।
अनादिरादिर्गोविन्दः सर्वकारणकारणम्॥”
ब्रह्म संहिता (Brahma Samhita in Hindi) एक ऐसा दिव्य ग्रंथ है जो “ईश्वर कौन है?” — इस प्रश्न का सीधा और स्पष्ट उत्तर देता है:
“ईश्वरः परमः कृष्णः”।
इस ग्रंथ के श्लोक न केवल वैदिक स्तुति हैं, बल्कि हर साधक की आत्मा को श्रीकृष्ण से जोड़ने वाली प्रेममयी कड़ी हैं। जो इसका नियमित पाठ करता है, वह श्रीकृष्ण के शाश्वत धाम का अधिकारी बनता है।
ब्रह्म संहिता (Brahma Samhita in Hindi) एक संस्कृत पंचरात्र ग्रन्थ है जिसमें सृष्टि के आरम्भ में भगवान ब्रह्मा द्वारा भगवान कृष्ण या गोविन्द की स्तुति की गयी है। गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय में इस ग्रन्थ की बहुत प्रतिष्ठा है।
यहां एक क्लिक में पढ़े ~ ब्रह्म संहिता अंग्रेजी में
ब्रह्म संहिता एक संस्कृत पंचरात्र पाठ है, जो सृष्टि की शुरुआत में भगवान कृष्ण, या गोविंदा की महिमा करते हुए ब्रह्मा द्वारा बोली जाने वाली प्रार्थना के छंदों से बना है ।
यदि आप श्रीकृष्ण की लीला, उनका आध्यात्मिक स्वरूप और ब्रह्मांड का रहस्य समझना चाहते हैं, तो यह ग्रंथ अत्यंत उपयोगी है। यह हमें साधना, भक्ति और प्रेम का सर्वोत्तम मार्ग दिखाता है। यह ग्रंथ बताता है कि ईश्वर कोई दूर, सज़ा देने वाला शक्ति नहीं, बल्कि प्रेममय, लीलामय श्रीकृष्ण हैं।