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Shloka of the Day

Shloka of the Day

मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ॥

भावार्थ:
हे मनोहर, वायुवेग से चलने वाले, इन्द्रियों को वश में करने वाले, बुद्धिमानो में सर्वश्रेष्ठ। हे वायु पुत्र, हे वानर सेनापति, श्री रामदूत हम सभी आपके शरणागत है।

यह श्लोक हनुमान जी की महानता और दिव्य गुणों का संक्षिप्त लेकिन गहरा वर्णन करता है। उनकी गति इतनी है कि मन से भी तेज कहा गया है। उनकी शक्ति वायु-देव से तुल्य कही गई है। उन्होंने अपनी इन्द्रियों को वश में किया — अर्थात् संयम, तप, ध्यान आदि में पारंगत हैं। बुद्धिमानों में श्रेष्ठ माना गया है — केवल वीर नहीं बल्कि विद्वान भी हैं।

वानर सेना के प्रमुख के रूप में उनकी नेतृत्व की भूमिका उजागर होती है। वे श्रीराम के दूत हैं — सेवा, समर्पण और भक्ति का प्रतीक। भक्त इस रूप में उनकी शरण लेता है, आशा करता है कि उनकी कृपा से जीवन में साहस, बुद्धि, तेज व सफलता प्राप्त हो।

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Source: हनुमत्-ध्यान
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