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नवग्रह एवम् नक्षत्र शांति हिंदी में

वैदिक ज्योतिष और भारतीय संस्कृति में नवग्रह और नक्षत्र शांति अनुष्ठान जीवन को ब्रह्मांडीय शक्तियों के साथ संतुलित करने का एक प्रभावी साधन हैं। नवग्रह एवम् नक्षत्र शान्ति (Navagraha Evam Nakshatra Shanti) नामक पुस्तक वैदिक परंपराओं की गहरी जानकारी प्रदान करती है, जिसमें गर्भाधान से चौल संस्कार तक के कर्मकांड, गण्डमूल नक्षत्रों की शांति, गोमुख प्रसव विधान, और नवग्रहों की वैदिक व तांत्रिक पूजा विधियाँ शामिल हैं।

नवग्रह एवम् नक्षत्र शांति (Navagraha Evam Nakshatra Shanti)  पुस्तक वैदिक ज्योतिष के सिद्धांतों पर आधारित है और इसमें जीवन के विभिन्न चरणों में किए जाने वाले संस्कारों, गण्डमूल नक्षत्रों के दोष निवारण, और नवग्रहों की शांति के लिए अनुष्ठानों का विस्तृत विवरण है। यह पुस्तक सामान्य लोगों और ज्योतिषियों दोनों के लिए उपयोगी है, क्योंकि इसमें सरल और सटीक विधियाँ दी गई हैं, जो आर्ष (ऋषियों द्वारा प्रतिपादित) परंपराओं पर आधारित हैं।

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“नवग्रह एवं नक्षत्र शांति (Navagraha Evam Nakshatra Shanti) ” ग्रंथ में गर्भाधान से लेकर चौल संस्कार तक के प्रयोग, गण्डमूल शांति, गोमुख प्रसव विधान, नक्षत्र दोष निवारण, ग्रह कवच, स्तोत्र, यंत्रपूजा और विशेष सूक्तों का विस्तृत वर्णन मिलता है। ताकि आप इन अनुष्ठानों के माध्यम से अपने जीवन में शांति और समृद्धि ला सकें।

वैदिक ज्योतिष में नवग्रह—सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, और केतु—जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे स्वास्थ्य, धन, रिश्ते, और करियर को प्रभावित करते हैं। प्रत्येक ग्रह की अपनी विशिष्ट ऊर्जा और प्रभाव होता है। उदाहरण के लिए, सूर्य आत्मविश्वास और नेतृत्व का प्रतीक है, जबकि शनि कर्म और अनुशासन का कारक है। दूसरी ओर, नक्षत्र 27 तारों के समूह हैं, जो चंद्रमा की गति के आधार पर आकाश को विभाजित करते हैं। ये नक्षत्र व्यक्ति के जन्म के समय उनकी कुंडली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

कुछ नक्षत्र, जैसे मूल, अश्विनी, मघा, ज्येष्ठा, आश्लेषा, और रेवती, गण्डमूल नक्षत्र कहलाते हैं, जिनमें जन्म होने पर विशेष शांति अनुष्ठान आवश्यक होते हैं। नवग्रह एवम् नक्षत्र शान्ति पुस्तक इन नक्षत्रों के दोषों को शांत करने और ग्रहों के प्रभाव को संतुलित करने की विस्तृत विधियाँ प्रदान करती है।

पुस्तक में गण्डमूल नक्षत्रों (मूल, अश्विनी, मघा, ज्येष्ठा, आश्लेषा, और रेवती) के दोषों और उनकी शांति विधियों पर विशेष ध्यान दिया गया है। गण्डमूल नक्षत्रों में जन्म होने पर परिवार और बच्चे पर अशुभ प्रभाव पड़ सकता है, जिसे शांति पूजा द्वारा दूर किया जाता है। पुस्तक में मूल नक्षत्र के चक्र और उसके फल (परिणाम) का वर्णन है। मूल शांति प्रयोग में मंत्र जाप, हवन, और वृक्षारोपण (जैसे कुचला का पेड़) शामिल हैं।

पुस्तक में तिथि-लग्न गण्डान्त, कृष्ण चतुर्दशी जनन, सिनीवाली-कूहू जनन, त्रिखल, यमल जनन, और अशुभ दंतोत्पत्ति जैसे दोषों की शांति विधियाँ भी शामिल हैं। इनमें वैदिक मंत्र, हवन, और दान का उपयोग किया जाता है। प्रत्येक नक्षत्र के लिए विशिष्ट भद्रपीठ और आवाहन पूजा विधियाँ दी गई हैं, जो इन नक्षत्रों के दोषों को शांत करती हैं।गोमुख प्रसव शांति एक विशेष अनुष्ठान है, जो जन्म के समय विशेष परिस्थितियों में किया जाता है। पुस्तक में इसकी विधि सरल और विस्तृत रूप में दी गई है, जिसमें मंत्र, हवन, और दान शामिल हैं। इसके अलावा, सिनीवाली-कूहू जनन शांति, व्यतिपात शांति, और एकनक्षत्र जनन शांति जैसी विधियाँ भी वर्णित हैं, जो विभिन्न ज्योतिषीय दोषों को दूर करती हैं।

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यह पुस्तक संस्कारों, गण्डमूल नक्षत्र शांति, गोमुख प्रसव, और नवग्रह पूजा की विस्तृत विधियाँ प्रदान करती है, जो जीवन को संतुलित और समृद्ध बनाती हैं। यदि आपकी कुंडली में ग्रहों या नक्षत्रों से संबंधित कोई दोष है, तो इस पुस्तक की विधियों को अपनाकर और किसी योग्य ज्योतिषी से परामर्श लेकर आप अपने जीवन में शांति और समृद्धि ला सकते हैं।

“नवग्रह एवं नक्षत्र शांति (Navagraha Evam Nakshatra Shanti) ” केवल एक धार्मिक पुस्तक नहीं बल्कि जीवन को संतुलित और सुरक्षित बनाने की मार्गदर्शिका है। इसमें वैदिक ज्योतिष और अनुष्ठानों की एक अनमोल कृति है, जो हमें ग्रहों और नक्षत्रों के प्रभाव को समझने और उनके साथ सामंजस्य स्थापित करने का मार्ग दिखाती है।

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