श्री परशुराम स्तवन संग्रह
श्री परशुराम स्तवन संग्रह: (Parshuram Stavan Sangrah) भगवान विष्णु के छठे अवतार की दिव्य महिमा हिंदू धर्म की समृद्ध परंपरा में भगवान विष्णु के दस अवतारों का विशेष महत्व है। इनमें से छठा अवतार भगवान परशुराम का है, जो क्षत्रिय कुलों के अहंकार को चूर करने और धर्म की स्थापना के लिए प्रकट हुए। “श्री परशुराम स्तवन संग्रह” नामक यह पुस्तक परशुराम जी की स्तुतियों और मंत्रों कथा का संकलन है।
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हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को भगवान परशुराम की जयंती मनाई जाती है। इस दिन मां रेणुका और पिता जमदग्नि के पुत्र के रूप में परशुराम का जन्म हुआ। यह ग्रंथ न केवल भक्तों को परशुराम की महिमा से परिचित कराता है, बल्कि उनके जीवन, कार्यों और आध्यात्मिक शिक्षाओं पर प्रकाश डालता है।
पहला स्तोत्र “श्री परशुराम स्तुति” है। इसमें परशुराम को कुल्हाड़ी धारण करने वाले, यमदंष्ट्रा जैसे भयंकर रूप वाले लेकिन भक्तों के लिए दयालु बताया गया है। यह स्तुति परशुराम के जन्म, उनकी माता रेणुका की कथा और कार्तवीर्य अर्जुन वध का संक्षिप्त उल्लेख करती है। पाठ से भक्तों को पाप नाश, यश प्राप्ति और राम भक्ति मिलती है।
श्रीपरशुराम सहस्रनाम स्तोत्रम्: 1000 नामों की महिमा का वर्णन कहा गया हे। यह संग्रह का सबसे बड़ा भाग है। सहस्रनाम का अर्थ है हजार नाम। परशुराम के विभिन्न रूपों, गुणों और कार्यों को दर्शाते नाम हैं। आरंभ “श्री गणेशाय नमः” से होता है। फलश्रुति में कहा गया है कि नियमित पाठ से सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं, शत्रु भय दूर होता है और मोक्ष प्राप्ति होती है। यह स्तोत्र परशुराम को विष्णु अवतार के रूप में स्थापित करता है।
“श्री परशुराम स्तवन संग्रह” (Parshuram Stavan Sangrah) एक अनमोल ग्रंथ है जो भक्तों को परशुराम की शक्ति से जोड़ता है। जयंती पर सुबह स्नान कर परशुराम की मूर्ति स्थापित करें। फूल, धूप, दीप से पूजा करें। सहस्रनाम या स्तुति का पाठ करें। प्रसाद वितरण करें। आज के युग में जहां अहंकार और अन्याय बढ़ रहा है, परशुराम की कथा प्रेरणा देती है। नियमित पाठ से जीवन में संतुलन आता है।


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