loader image

विदुर नीति हिंदी में

विदुर नीति (Vidur Niti Hindi) के महात्मा विदुर महाकाव्य महाभारत के लोकप्रिय पात्रों श्री कृष्ण, भीष्म पितामह, गुरु द्रोण, युधिष्ठिर, भीम, दुर्योधन आदि में से एक है। विदुरजी कौरवों और पांडवों के काकाश्री के साथ कुरुवंश के प्रधानमंत्री भी थे। यम (धर्म) के अवतार विदुर महर्षि व्यास के पुत्र थे। विदुर जी विद्वान और दूरदर्शी व्यक्ति थे। विकट से विकट परिस्थितियों में भी महात्मा विदुर ने सत्य का मार्ग नहीं छोड़ा था।

 

विदुर की जन्म कथा :-

महाभारत में हस्तिनापुर के राजा शांतनु और रानी सत्यवती थी। राजा शांतनु और रानी सत्यवती के चित्रांगद और विचित्रवीर्य नाम के दो पुत्र थे। राजा शांतनु की मृत्यु हो गई तब चित्रांगद और विचित्रवीर्य बहोत छोटे थे। फिर पितामह भीष्म ने दोनों का पालन- पोषण किया। बड़े हो जाने के बाद चित्रांगद को हस्तिनापुर का राजा घोषित कर दिया गया। हस्तिनापुर और गन्धर्व के युद्ध में चित्रांगद वीरगति को प्राप्त होया था। फिर विचित्रवीर्य को हस्तिनापुर का राजा बनाया गया।

विचित्रवीर्य का विवाह अम्बिका और अम्बालिका दो कन्याओं के साथ किया। परन्तु विचित्रवीर्य विवाह के बाद क्षय रोग से ग्रस्त हो गये और असमय ही निःसन्तान स्वर्ग सिधार गए। इस प्रकार दोनों पुत्रो के मृत्यु होने से रानी सत्यवती को वंश को आगे बढ़ाने के लिए अम्बिका और अम्बालिका से भीष्म को विवाह करने का प्रस्ताव रखा। परंतु भीष्म प्रतिज्ञा से बंधे होने के कारण विवाह करने से इंकार कर दिया।

रानी सत्यवती वंश को बढ़ने के लिए महर्षि व्यास जी से ने मदद मांगी। फिर महर्षि वेदव्यास की आज्ञा से अम्बिका महर्षि व्यास के कक्ष में गयी तो वह उनकी कुरूपता देखकर इतना डर गयी की अम्बिका ने आंखे बंद कर ली। फल स्वरूप धृतराष्ट्र का जन्म हुआ। फिर अम्बालिका व्यासजी के कृष्णरूप को देखकर भय से पीली पड़ गई। फल स्वरूप उनके द्वारा उत्पन्न हुए पुत्र पाण्डु का रंग पीला हुआ।

रानी सत्यवती ने स्वस्थ बालक की कामना से एक बार फिर अम्बिका को व्यास जी की कक्ष में भेजने का विचार हुआ। अम्बिका ने अपनी जगह पर अपनी दासी को भेज दिया। इस दासी ने ही महर्षि व्यासजी के द्वारा महात्मा विदुर को जन्म दिया।

 

विदुर नीति क्या है:-

प्राचीन काल से महापुरुषो द्वारा बताई गयी नीतियाँ आज भी प्रचलित है। इनमें से चाणक्य नीति को आज भी लोग अनुसरण करते है। ऐसे ही विदुर नीति (Vidur Niti Hindi) का भी लोग अनुसरण करते है। महापुरुष विदुर की इस नीति में राजा और उनकी प्रजा के प्रति उचित कर्तव्यों की विधिपूर्वक नीति का विवरण मिलता है।

विदुर नीति में जीवन-युद्ध जीवन-प्रेम, जीवन-व्यवहार की नीति के रूप में विशेष स्थान प्राप्त है। विदुर नीति महाभारत के उद्योग पर्व 33 वें अध्याय से लेकर 40 वें अध्याय तक वर्णित है।

महाभारत में युद्ध होने से पहले राजा धृतराष्ट्र के साथ हर विषयों पर संवाद किया था, इन्हीं संवाद को “विदुर नीति” (Vidur Niti Hindi) कहते है। विदुर जी ने राजा धृतराष्ट्र को युद्ध ना करने का परामर्श दिया था, परंतु वह असफल रहे।

 

विदुर नीति कहती हे की-

एको धर्म: परम श्रेय: क्षमैका शान्तिरुक्तमा।
विद्वैका परमा तृप्तिरहिंसैका सुखावहा ।।

अर्थ:
विदुर नीति के अनुसार केवल धर्म ही परम कल्याणकारक है, एकमात्र क्षमा ही शांति का सर्वश्रेष्ठ उपाय है। एक विद्या ही परम संतोष देने वाली है, और एकमात्र अहिंसा ही सुख देने वाली है।

 

यह भी पढ़े

चाणक्य मंत्र हिंदी में

विवेकचूडामणि हिंदी में

वैदिक सूक्त संग्रह हिंदी में

मङ्गलाचरण हिंदी में

Please wait while flipbook is loading. For more related info, FAQs and issues please refer to DearFlip WordPress Flipbook Plugin Help documentation.

Share

Related Books

Share
Share