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कैवल्य उपनिषद हिंदी में

कैवल्य उपनिषद एक आकांक्षा है, परम स्वतंत्रता की। कैवल्य का अर्थ है: ऐसा क्षण आ जाए चेतना में, जब मैं पूर्णतया अकेला रह जाऊं, लेकिन मुझे अकेलापन न लगे। एकाकी हो जाऊं, फिर भी मुझे दूसरे की अनुपस्थिति पता न चले। अकेला ही बचूं, तो भी ऐसा पूर्ण हो जाऊं कि दूसरा मुझे पूरा करे, इसकी पीड़ा न रहे।

यहां एक क्लिक में पढ़े ~ कैवल्य उपनिषद अंग्रेजी में

कैवल्य उपनिषद के रचनाकाल के सम्बन्ध में विद्वानों का एक मत नहीं है। कुछ उपनिषदों को वेदों की मूल संहिताओं का अंश माना गया है। ये सर्वाधिक प्राचीन हैं। कुछ उपनिषद ‘ब्राह्मण’ और ‘आरण्यक’ ग्रन्थों के अंश माने गये हैं। इनका रचनाकाल संहिताओं के बाद का है। उपनिषदों के काल के विषय मे निश्चित मत नही है समान्यत उपनिषदो का काल रचनाकाल ३००० ईसा पूर्व से ५०० ईसा पूर्व माना गया है।

कैवल्योपनिषद एक लघु उपनिषद है, जिसमें केवल 146 श्लोक हैं जो चार अध्यायों में व्यवस्थित हैं।, लेकिन यह एक बहुत ही सुंदर उपनिषद है, जो चिंतन के लिए उपयुक्त है। यह निर्धारित है कि साधकों को इस उपनिषद को याद रखना चाहिए और प्रतिदिन इसका पाठ करना चाहिए। इस उपनिषद के अंतिम मंत्र पर चर्चा के दौरान हम देखेंगे कि इसका पाठ भी कितना उपचारकारी और शुद्ध करने वाला है।

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