स्तोत्ररत्नावली हिंदी में
स्तोत्ररत्नावली (Stotra Ratnavali) में भगवान गणेश, भगवान शिव, श्री हरी विष्णु, भगवान श्रीराम, श्री कृष्ण भगवान सूर्यदेव, शक्ति आदि देवताओं के पवित्र स्तोत्रों का संग्रह किया गया है। इसके अन्त में अनेक प्रकार के स्त्रोत्र में देवी-देवताओं के प्रातः स्मरण और आध्यात्मिक स्तोत्र (Stotra Ratnavali) का संग्रह भी दिया गया है। इस ग्रंथ में अकाल मृत्यु और रोगादिसे रक्षा करने वाले मृत्युञ्जय स्तोत्र दिया गया है। यह ग्रन्थ भक्ति की दृष्टि से सभी के लिए विशेष लाभदायक है।
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वेद-पुराण से लेकर इतिहास और काव्यात्मक तक फैले एक विशाल महासागर से स्तोत्र (Stotra Ratnavali)के संग्रह की तुलना, इन पवित्र श्लोको की विशालता और सर्वव्यापकता को स्पष्ट रूप से चित्रित करती है। संक्षेप में, इस ग्रंथ से दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने और कल्याण प्राप्त करने के साधन के रूप में भजनों और स्तुतियों के गहरे प्रभाव और सार्वभौमिक स्वीकृति को स्पष्ट रूप से संप्रेषित करता है।
‘स्तोत्रं कस्य न तुष्टये’ कालिदास के इस वाक्य के अनुसार इस संसार में ऐसा कोई भी प्राणी नहीं है, जो स्तुति से प्रसन्न न हो जाता हो। राजनीति के ग्रन्थों अनुसार ‘साम’ या स्तुति के द्वारा राक्षस आदि भयंकर सत्त्व भी वशीभूत हो जाते हैं। इसीलिये दण्ड, भेद, दान आदि नीतियों में ‘साम’ या स्तुति प्रशंसा को ही सर्वश्रेष्ठ कहा गया है।
“स्तोत्र” शब्द संस्कृत धातु “स्तु” से लिया गया है, जिसका अर्थ है “प्रशंसा करना” या “महिमा करना।” स्तोत्र भक्तों के लिए किसी विशेष देवता या सामान्य रूप से परमात्मा के प्रति अपनी श्रद्धा, भक्ति और प्रेम व्यक्त करने के साधन के रूप में काम करते हैं। स्तोत्ररत्नावली (Stotra Ratnavali) हिंदू धर्म में पूजा का एक अभिन्न अंग हैं और विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों, समारोहों और व्यक्तिगत भक्ति में उपयोग किए जाते हैं।
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