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श्री रामचरितमानस हिंदी में

श्री रामचरितमानस (Ramcharitmanas in Hindi) का विधिपूर्वक पाठ करने से पहले श्री तुलसीदासजी, श्री वाल्मीकिजी, श्री शिवजी तथा श्रीहनुमानजी का आह्नान, तथा पूजन करने के बाद तीनो भाइयों सहित श्री सीतारामजी का आह्नान, षोडशोपचार ( अर्थात सोलह वस्तुओं का अर्पण करते हुए पूजन करना चाहिए लेकिन नित्य प्रति का पूजन पंचोपचार गन्ध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य से संपन्न किया जा सकता है ) पूजन और ध्यान करना चाहिये। उसके उपरांत पाठ का आरम्भ करना चाहिये।

गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा रचित रामचरितमानस ग्रंथ १६वीं सदी में प्रसिद्ध हुआ, जो अवधि भाषा में है। अवधी हिंदी क्षेत्र की एक उपभाषा है। यह उत्तर प्रदेश के “अवध क्षेत्र” में बोली जाती है। रामचरितमानस को तुलसीकृत रामायण के नाम से भी जाना जाता है। रामचरितमानस का ‘रामायण‘ के रूप में हर रोज़ पाठ उत्तर भारत के लोगो द्वारा पढ़ा जाता है। अखिल ब्रह्माण्ड के स्वामी श्री हरी विष्णु भगवान ने राम है, जिनको रामचरितमानस (Ramcharitmanas in Hindi) में मर्यादा पुरोषोत्तम के रूप में दर्शाया गया हे, और महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण में भगवान श्री राम को आदर्श चरित्र मानव के रूप में दर्शाया गया है। रामायण के राम सम्पूर्ण मानव जाती को ये सिखाते हे की जीवन कैसे जीना चाहिए भले ही जीवन में कितने ही विघ्न हो, और रामचरितमानस के श्री राम सर्वशक्तिमान होते हुए भी मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। गोस्वामी तुलसीदासजी ने इस ग्रंथ में दोहा, चौपाइ, सोरठों तथा छंद से वर्णन किया गया है। तुलसीदासजी ने दोहों के साथ कड़वक संख्या दी गयी है, जो कुल कड़वकों की संख्या 1074 है।

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परिचय :-

तुलसीदास रचित रामचरितमानस (Ramcharitmanas in Hindi) में चोपाई की संख्या 9388 हे, दोहे की संख्या 1172 हे, सोरठ की संख्या 87 मालती हे, मंत्र की संख्या 47 हे और छंद की संख्या 208 हे। इस ग्रंथ में तुलसीदास जी द्वारा 7 काण्डों में विभाजित किया गया हे।

1 ) बालकाण्ड
2 ) अयोध्याकाण्ड
3 ) अरण्यकाण्ड
4 ) किष्किन्धाकाण्ड
5 ) सुन्दरकाण्ड
6 ) लंकाकाण्ड (युद्धकाण्ड)
7 ) उत्तरकांड

 

तुलसीदास की भक्ति :-

रामचरितमानस (Ramcharitmanas in Hindi) में तुलसीदास की भक्ति अत्यन्त निर्मल रूप से है। तुलसीदास ने रामचरितमानस और विनयपत्रिका में कई बार कहा की श्री राम का चरित्र ही ऐसा हे जो एक बार राम को सुन लेता हे वह सरलता से राम का भक्त हो जाता है। तुलसीदास ने श्री राम के चरित्र की ऐसी ही कल्पना करते है। सारे उत्तर भारत में वर्षो अपना प्रभाव रखा है। और परमात्मा से संबंध रखनेवाले जीवन का निर्माण किया है। रामचरितमानस उत्तर भारत में लोक प्रचलित ग्रंथ रहा है।

 

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