loader image

भविष्य पुराण हिंदी में

भविष्य पुराण हिन्दू संस्कृति के १८ प्रमुख पुराणों में से एक पुराण हे, और नौवां स्थान प्राप्त है। इस पुराण को विषय-वस्तु और वर्णन-शैली की दृष्टि से देखा जाय तो एक विशेष ग्रंथ है। भविष्य पुराण में भविष्य में होने वाली घटनाओ का वर्णन मिलता है।

भविष्य पुराण को ‘सौर-पुराण’ या ‘सौर ग्रन्थ’ भी कहा गया है, क्योकि इस पुराण में भगवान सूर्य नारायण की महिमा और पूजा उपासना का वर्णन सविस्तार से किया गया है। यह पुराण धर्म, सदाचार, नीति, उपदेश, आख्यान, व्रत, तीर्थ, दान, ज्योतिष एवं आयुर्वेद के संग्रह से भरा पड़ा है। भविष्य पुराण में हो चुकी घटनाओं और भविष्य में होने वाली घटनाओं का वर्णन किया गया है। वर्तमान समस्त आधुनिक इतिहास का वर्णन इस पुराण में मिलता है।

परिचय:-

भविष्य पुराण के रचयता महर्षि वेदव्यास ऋषि है। यह पुराण के अनुसार ऐसा माना जाता हे की भविष्य पुराण में श्लोक की संख्या वास्तव में लगभग 50,000 है। परन्तु समय के साथ-साथ वर्तमान में कुल 14,000 श्लोक ही प्राप्त होते हैं। भविष्य पुराण को ब्रह्म पर्व, मध्यम पर्व, प्रतिसर्ग पर्व तथा उत्तर पर्व इन चार पर्व में विभाजित किया गया है। मध्यमपर्व तीन तथा प्रतिसर्ग पर्व चार इन के मध्य में खण्डों में विभक्त है। इन चार पर्वों में शामिल अध्याय हैं, जिनकी कुल संख्या 485 है।

भविष्य पुराण में कथाएँ रोचक तथा प्रभावोत्कपादक हैं। प्रतिसर्गपर्व के द्वितीय खण्ड के 23 अध्यायों में वेताल-विक्रम-सम्वाद अत्यन्त रमणीय तथा मोहक है। भविष्य पुराण के प्रतिसर्ग उत्सव के दूसरे खंड में 24वें से 29वें अध्याय में श्री सत्यनारायण व्रतकथा का वर्णन मिलता है।

भविष्यपुराण की संरचना:-

भविष्य पुराण को चार पर्व में बाटा गया हे, जो निम्नलिखित है।

ब्रह्म पर्व:-
भविष्य पुराण के इस पर्व में कुल 215 अध्याय हैं। भविष्य में होने वाली घटनाओं से संबंधित इस पन्द्रह सहस्र श्लोकों के इस महापुराण में धर्म, आचार, नागपंचमी व्रत, सूर्यपूजा, स्त्री प्रकरण आदि हैं। ब्रह्म पर्व के आरम्भ में महर्षि सुमंतु एवं राजा शतानीक का संवाद किया गया है। इस पर्व में मुख्यत: व्रत-उपवास पूजा विधि, सूर्योपासना का माहात्म्य और उनसे जुड़ी कथाओं का विस्तृत वर्णन है। इसमें सूर्य से सम्बन्धित 169 अध्याय है।

मध्यम पर्व:-
भविष्य पुराण के इस पर्व में समस्त कर्मकाण्ड का निरूपण है। मध्यम पर्व में व्रत और दान से सम्बद्ध विषय और व्रत अत्यन्त महत्त्वपूर्ण माना गया हैं। मध्यम पर्व में मुख्य रूप से श्राद्धकर्म, पितृकर्म, विवाह-संस्कार, यज्ञ, व्रत, स्नान, प्रायश्चित्त, अन्नप्राशन, मन्त्रोपासना, राज कर देना, यज्ञ के दिनों की गणना के बारे में विवरण दिया गया है। इतने विस्तार से व्रतों का वर्णन न किसी पुराण, न किसी धर्मशास्त्रमें मिलता है और न किसी स्वतन्त्र व्रत-संग्रह के ग्रन्थ में।

प्रतिसर्ग पर्व:-
भविष्य पुराण के प्रतिसर्ग पर्व के तृतीय तथा चतुर्थ खण्ड में इतिहास की महत्त्वपूर्ण सामग्री उपस्थित है। इतिहास लेखकों ने सबसे पहले इसी का आधार लिया है। प्रतिसर्ग पर्व मध्यकालीन हर्षवर्धन, महावीर बप्पा रावल, महाराज पृथ्वीराज चौहान,आल्हा- ऊदल, पेशवा माधवराव, आदि हिन्दू राजाओं और अलाउद्दीन, मुहम्मद तुगलक, तैमूरलंग, बाबर तथा अकबर, आदि का प्रामाणिक इतिहास ज्ञात किया गया है। इसमें जगद्गुरु श्री आदिशंकराचार्य, श्रीरामानुजाचार्य, मीराबाई, श्रीचैतन्य महाप्रभु, गुरु नानक देवजी, तुलसीदासजी, सूरदासजी, कबीरदास जी, चंद बरदाई के बारे में वर्णन किया गया है।

उत्तर पर्व:-
भविष्य पुराण के उत्तर पर्व में भगवान विष्णु की माया से नारद जी के मोहित होने का वर्णन मिलता है। इसके बाद स्त्रियों को सौभाग्य प्रदान करने वाले अन्य कई व्रतों का वर्णन भी विस्तारपूर्वक किया गया है। इस पर्व में 208 अध्याय हैं। उत्तर पर्व भविष्य पुराण का अंग है, किन्तु इसे एक भविष्योत्तरपुराण भी माना जाता है।

भविष्य पुराण में ऐसी कई बातो का उल्लेख हे, जो हमारी समज से परे है। भविष्य पुराण की भवष्यवाणी घटित होती दिखाई दे रही है। भगवान ब्रह्मा भविष्य पुराण में कहते हे की मनुष्य के स्वाभाव को जानना चाहते हे तो उसके बाल, नाखून, दांत आदि को ध्यान से देखकर आप कई जानकारी जान सकते है।

भविष्य पुराण हम मनुष्य के जीवन में इस तरह मददगार हो सकता है कि मनुष्य कलियुग की परीक्षा का सामना सावधानी के साथ करें और अच्छे कर्मों द्वारा सुखमय भविष्य बनाने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।

यह भी पढ़े

वाल्मीकि रामायण

विदुर नीति

ब्रह्म संहिता

राघवयादवीयम्

विविध चिकित्सा हिंदी में

Please wait while flipbook is loading. For more related info, FAQs and issues please refer to DearFlip WordPress Flipbook Plugin Help documentation.

Share

Related Books

Share
Share