जैमिनि सूत्रम् हिंदी में
भारतीय ज्योतिष शास्त्र हजारों वर्षों की परंपरा और अनुभव का परिणाम है। इस दिव्य परंपरा में जहाँ एक ओर महर्षि पराशर जैसे ऋषियों ने ज्योतिष के आधार स्तंभ खड़े किए, वहीं दूसरी ओर महर्षि जैमिनि ने इस विद्या को एक अलग ही दृष्टिकोण से समझने और समझाने का प्रयास किया। उनके द्वारा रचित ‘जैमिनि सूत्रम्’ (Jaimini Sutram in Hindi) एक ऐसा अद्वितीय ग्रंथ है, जो आज भी ज्योतिष प्रेमियों, शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों के लिए रहस्य, रहस्योद्घाटन और ज्ञान का अनमोल भंडार है।
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जैमिनि सूत्रम्’ (Jaimini Sutram in Hindi) एक प्राचीन ग्रंथ है, जिसमें 1100 से अधिक सूत्रों के माध्यम से फलित ज्योतिष के विशेष सिद्धांतों और नियमों का संकलन किया गया है। यह ग्रंथ न केवल सैद्धांतिक रूप से गूढ़ है, बल्कि व्यवहार में सटीक फलादेश देने की दृष्टि से भी अति उपयोगी माना गया है।
यह ग्रंथ परंपरागत “पराशरी ज्योतिष” से भिन्न होते हुए भी उससे विरोध नहीं करता, बल्कि एक पूरक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, जिससे ज्योतिष की गहराई और व्यापकता और अधिक स्पष्ट होती है।
जैमिनि ज्योतिष में ग्रहों की दीर्घांश के आधार पर सात मुख्य कारकों का निर्धारण होता है — आत्मकारक, अमात्यकारक, भात्रिकारक, मातृकारक, पुत्रकारक, ज्ञातिकारक और दारकारक। ये चर होते हैं, अर्थात् जातक के अनुसार बदलते रहते हैं। जहाँ पराशरी पद्धति ग्रहों की दृष्टियों पर आधारित है, वहीं जैमिनि पद्धति में राशियाँ एक-दूसरे को दृष्टि देती हैं, जो फलादेश की प्रक्रिया को बिल्कुल नया रूप देती है।
विवाह, संतान और दांपत्य जीवन को समझने के लिए उपपद एक प्रमुख तकनीक है, जिससे विवाह की प्रकृति, जीवनसाथी की स्थिति और वैवाहिक सुख की संभावना को देखा जाता है। जैमिनि पद्धति में चरण दशा, मंडूक दशा, काकटेश दशा जैसी विशेष दशाएँ प्रयोग की जाती हैं, जो जन्म की राशि और नक्षत्रों के आधार पर फलादेश देती हैं।
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यह उन सिद्धांतों को प्रस्तुत करता है, जो किसी अन्य ग्रंथ में नहीं मिलते। यदि आप पराशरी ज्योतिष को पहले से जानते हैं, तो यह ग्रंथ आपकी समझ को और अधिक गहराई देगा। इसमें फलित की ऐसी तकनीकें हैं, जो जटिल से जटिल प्रश्न का उत्तर भी सहजता से दे सकती हैं। यह ग्रंथ आपकी व्यावहारिक फलादेश क्षमता को कई गुना बढ़ा सकता है।
‘जैमिनि सूत्रम्’ (Jaimini Sutram in Hindi) न केवल एक ग्रंथ है, बल्कि एक ऐसी दृष्टि है, जो ज्योतिष को रहस्य से विज्ञान की ओर, और अंधविश्वास से अनुभव की ओर ले जाती है। इसका अध्ययन एक साधना है, जो आपको आत्मज्ञान और आत्मविश्लेषण की ओर अग्रसर करती है। सूत्रों के अर्थ को समझने व भ्रान्तियों को दूर करने के लिए लिखा गया यह शान्तिप्रिय भाष्य आपकी सभी जिज्ञासाओं को पूरा करेगा व एक ही स्थान पर सम्पूर्ण विवेचन सर्वप्रथम प्राप्त होगा।
यदि आप फलित ज्योतिष में निपुणता प्राप्त करना चाहते हैं, और उस ऊँचाई को छूना चाहते हैं जहाँ भविष्यवाणी केवल अनुमान नहीं, अनुभव बन जाए — तो ‘जैमिनि सूत्रम्’ आपके लिए अवश्य पठन योग्य है।
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