मुहूर्त चिन्तामणि हिंदी में
मुहूर्त चिन्तामणि (Muhurta Chintamani) के विद्वान् लेखक ने जीवन में विभिन्न कार्य आरम्भ करने के लिए मुहूर्त बताये हैं जो ज्योतिष के अकाट्य सिद्धांतों पर आधारित हैं, पूर्णतः प्रामाणिक हैं, और प्रत्येक ज्योतिष मनीषियों के लिए इनका ज्ञान अनिवार्य है।
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मुहूर्त चिन्तामणि के दो अर्थ हैं । पहिला यह कि दिन और रात्रि के पन्द्रहवें भाग को और किसी कार्य को करने के लिए विचारे हुए शुभाशुभ काल को मुहूत्तं कहते हैं । उसके शुभाशुभत्व के विचारने के लिए जितने ग्रन्थ हैं उन सबों में श्रेष्ठ । दूसरा अर्थ यह है कि वाञ्छित फल देनेवाले मणि के सदृश वाञ्छित मुहूर्तों का ज्ञान करानेवाला ग्रन्थ।
मानव जीवन कार्य-संकुल है। जन्म से लेकर मृत्यु पर्यन्त मनुष्य अनन्त गतिविधियों से गुजरता है। जो गतिविधियाँ मुहूर्त के अनुसार विधि-विधानपूर्वक सम्पन्न होती हैं उनके अवश्य ही शुभ फल होते हैं। इसी कारण महत्वपूर्ण संस्कार गर्भाधान, सीमन्तोन्नयन, पुंसवन, नामकरण, कर्णवेध, मुण्डन, विद्यारम्भ, यज्ञोपवीत, उपनयन, समावर्तन, विवाह, अन्तिम संस्कार आदि मुहूर्त के अनुसार ही करने चाहिएं।
मुहूर्त चिन्तामणि (Muhurta Chintamani) में उपरोक्त संस्कारों के शुभ मुहूर्तों पर विस्तार से विचार किया गया है। उनके अतिरिक्त राज्याभिषेक, यात्रारम्भ, गृह-निर्माण, गृह-प्रवेश, वधू-प्रवेश आदि के शुभ मुहूर्त बताये गये हैं।
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इस ग्रन्थ-रत्न में आप पायेंगे शुभाशुभ तिथि-विचार, अशुभ योगों का परिहार, सर्वार्थसिद्धि योग, भद्राविचार, शुक्रास्त विचार, शुभाशुभ नक्षत्र-विचार, वस्त्राभूषण धारण करने के शुभ नक्षत्र, क्रय-विक्रय के शुभ मुहूर्त, द्विपुष्कर योग, त्रिपुष्कर योग और नक्षत्राकृति, गोचर और संक्रान्ति पर शास्त्र-सम्मत विवेचन।
मुहूर्त चिन्तामणि (Muhurta Chintamani) शुभाशुभ मुहूर्त ज्ञान का अनुपम कोष है। ज्योतिर्विदों, व्यावसायिक ज्योतिषियों और ज्योतिष-जिज्ञासुओं के लिए तो यह अनूठा ग्रन्थ उपयोगी सिद्ध होगा ही; सामान्य व्यक्ति भी मुहूर्त ज्ञान का परिचय प्राप्त करके इष्टसिद्धि का लाभ प्राप्त कर सकेंगे।