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काक चेष्टा, बको ध्यानं, स्वान निद्रा तथैव च।
अल्पहारी, गृहत्यागी, विद्यार्थी पंच लक्षणं।।
Amogha Shiv Kavach in Hindi
अमोघ शिव कवच भगवान शिव की दिव्य कृपा का कवच | Amogha Shiv Kavach यह अमोघ शिव कवच (Amogha Shiv Kavach) परम गोपनीय, परम पूज्य, समस्त पापों का नाश करने वाला, समस्त दुर्भाग्यों और विघ्नों का नाश करने वाला, परम पवित्र, विजयदायक और समस्त विपत्तियों का नाश करने वाला माना जाता है। यह परम कल्याणकारी और समस्त भयों का नाश
Ek Mukhi Hanuman Kavach
एकमुखी हनुमान कवच | Ek Mukhi Hanuman Kavach हनुमान — शक्ति, भक्ति और सुरक्षा का ऐसा दिव्य स्वरूप जिनकी केवल स्मृति से ही शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक संकट दूर हो जाते हैं। वे न केवल राम के दूत हैं, बल्कि दीन-दुखियों के रक्षक, शत्रुओं के संहारक, और साधकों के अनन्य सहायक भी हैं। परंतु क्या आप जानते हैं कि श्री
Chanakya Niti chapter 8 in Hindi
चाणक्य नीति : आठवां अध्याय | Chanakya Niti Chapter 8 In Hindi आठवां अध्याय भूमि के अंदर से निकलने वाला पानी शुद्ध माना जाता है। पतिव्रता नारी पवित्र होती है। लोगों का कल्याण करने वाला राजा पवित्र माना जाता है और संतोषी ब्राह्मण को भी पवित्र माना गया है। चाणक्य नीति का आठवाँ अध्याय (Chanakya Niti chapter 8 in Hindi)
Raghuvansham Sarg 11
रघुवंश ग्यारहवाँ सर्ग | Raghuvansham Sarg 11 ॥ कालिदासकृत रघुवंशम् महाकाव्य ग्यारहवाँ सर्गः ॥ महाकवि कालिदास द्वारा रचित संस्कृत महाकाव्य ‘रघुवंशम्’ के ग्यारहवें सर्ग (Raghuvansham Sarg 11) में भगवान राम के किशोरावस्था के प्रमुख घटनाक्रमों का वर्णन है। यह सर्ग रामायण की कथा का एक महत्वपूर्ण अंश प्रस्तुत करता है, जिसमें राम की वीरता, धर्मनिष्ठा और उनके विवाह की कथा
Mahabharata Adi Parva Chapter 37 to 41
॥ श्रीहरिः ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ श्रीवेदव्यासाय नमः ॥ श्रीमहाभारत आदिपर्वके अन्तर्गत आस्तीकपर्व में (Adi Parva Chapter 37 to 41) इस पोस्ट में श्रीमहाभारत आदिपर्वके अन्तर्गत आस्तीकपर्व अध्याय 37 से अध्याय 41 (Adi Parva Chapter 37 to 41) दिया गया है। इसमें माताके शापसे बचनेके लिये वासुकि आदि नागोंका परस्पर परामर्श कहा है। वासुकिकी बहिन जरत्कारुका जरत्कारु मुनिके साथ विवाह
Nirvana Shatakam
छः श्लोकों में आत्मा, मोक्ष और शिवत्व का रहस्य निर्वाण षट्कम् (Nirvana Shatakam), जिसे आत्म षट्कम् भी कहा जाता है, आदि शंकराचार्य द्वारा रचित एक गहन दार्शनिक स्तोत्र है। इसमें आत्मा की सर्वोच्च स्थिति — निर्वाण या आत्म-साक्षात्कार — का सुंदर वर्णन किया गया है। “षट्कम्” का अर्थ है ‘छः श्लोकों का समूह’। इन छह श्लोकों में आत्मा को शरीर,
Mahishasura Mardini Stotram
महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र (Mahishasura Mardini Stotram): बुराई से मुक्ति और जीवन में समृद्धि की कुंजी महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र(Mahishasura Mardini Stotram), देवी दुर्गा की शक्ति और उनके महिषासुर के वध की कथा का गान करने वाला एक अत्यंत प्रसिद्ध स्तोत्र है। यह स्तोत्र खासतौर पर नवरात्रि के दौरान श्रद्धालुओं द्वारा बड़े श्रद्धा भाव से पढ़ा जाता है, क्योंकि यह देवी दुर्गा
Hanumanji ki Asht Siddhiya
हनुमान जी और उनकी आठ सिद्धियां (Asht Siddhiya) श्री हनुमान जी, जिन्हें बजरंगबली, पवनपुत्र, महावीर और संकटमोचन जैसे अनेक नामों से जाना जाता है, हिन्दू धर्म में एक अत्यंत पूज्य और शक्तिशाली देवता हैं। हनुमान जी को अष्ट सिद्धियाँ (Asht Siddhiya) प्राप्त थीं — आठ ऐसी दिव्य शक्तियाँ जो किसी भी साधारण प्राणी के लिए दुर्लभ हैं। ये शक्तियाँ न
Rudra Samhita Khand-2 Chapter 31 to 42
श्रीरुद्र संहिता द्वितीय खण्ड अध्याय 31 से 42 | Rudra Samhita Khand-2 Chapter 31 to 42 श्रीरुद्र संहिता द्वितीय खण्ड अध्याय 31 से अध्याय 42 (Rudra Samhita Khand-2 Chapter 31 to 42) में दक्ष के यज्ञ में सती के आत्मदाह के बाद आकाशवाणी होती है, जो भगवान शिव के क्रोध की भविष्यवाणी करती है। शिवजी अत्यंत क्रोधित होते हैं और
Raghuvansham Sarg 10
रघुवंश दशम सर्ग | Raghuvansh Sarg 10 ॥ कालिदासकृत रघुवंशम् महाकाव्य दशम सर्गः ॥ संस्कृत कवि कालिदास द्वारा रचित “रघुवंश महाकाव्य” के दसवें सर्ग (Raghuvansham Sarg 10) को “राम अवतार” कहा गया है। रघुवंश महाकाव्य के दशम सर्ग में श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के जन्म की कथा वर्णित है। इस सर्ग को “रामावतार सर्ग” भी कहा जाता है क्योंकि इसमें
Yamunashtak
यमुनाष्टक (Yamunashtak): माँ यमुनाजी की स्तुति और आशीर्वाद प्राप्ति का साधन यमुनाष्टक (Yamunashtak) भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय यमुना नदी की स्तुति में रचित एक प्रसिद्ध स्तोत्र है। यह भक्तों के बीच अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ गाया जाता है। इसकी रचना श्री वल्लभाचार्य जी ने की थी, जो भक्ति मार्ग के महान आचार्य माने जाते हैं। यमुनाष्टक में श्री
Chanakya Niti chapter 7 In Hindi
चाणक्य नीति : अध्याय सातवां | Chanakya Niti Chapter 7 In Hindi ॥ अथ सप्तमोऽध्यायः ॥ चाणक्य नीति के सातवें अध्याय (Chanakya Niti chapter 7) में चाणक्य यह महत्वपूर्ण बात कहते हैं कि जिस मनुष्य ने विद्या को ग्रहण नहीं किया, उसका जीवन कुत्ते की उस पूंछ के समान है, जिससे न तो वह अपने गुप्त भागों को ढंक सकता है,